कैसा मौसम
जाने ये कौन सा मौसम है
न सर्दियों की धुप है
न दिन यहाँ पर कम है
न ठण्ड का कोई भी रूप है
न मिट्टी की खुशबु है
न भीगे यौवन में हलचल
न बादलों में गुफ्तगू है हलचल
न चाय पकौरी का ही कोई पल
धुप भी चिलचिलाती नहीं
न चांदनी का कोई आलम
न झरनों की आरज़ू कहीं
न ये छुट्टियों का मौसम
सरसों भी नहीं दीखते हैं
पतंग अस्मा में अब तक ना नाचा है
नए पत्ते भी कहीं ना उगते हैं
न मुस्कराता कोई भी रास्ता है
जाने ये कौन सा मौसम है
तुम पास होकर भी इतने दूर हो
हर बात शुरू होने से पहले ख़त्म है
काम हो न हो, मसरूफ हो…
No comments:
Post a Comment