Friday, April 2, 2010


PYAR


चले वो कदम-कदम जो साथ मेरे,

तो उसके साथ से प्यार हो जाए...

थामे जो प्यार से हाथ मेरा,

तो अपने हाथ से प्यार हो जाए...


जिस रात आए ख्वाबों में वो,

उस सुहानी रात से प्यार हो जाए...

जिस बात में आए जिक्र उसका,

तो उसी बात से प्यार हो जाए...


जब पुकारे प्यार से मेरा नाम,

तो अपने ही नाम से प्यार हो जाए...

जो प्यार के रिश्ते हम बनाते हैं,

उसे लोगों से क्यों छुपाते हैं ?


अगर होता है गुनाहकिसी को प्यार करना,

तो बचपन से सब प्यार करना क्यों सिखाते हैं ?

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