Wednesday, September 29, 2010


रेखा ने लगाया बाल विवाह पर विराम


पुरुलिया ज़िले की 12 वर्षीय बीड़ी मजदूर रेखा कालिंदी ने शादी से इंकार कर अनेक लड़कियों को रास्ता दिखाया और बाल विवाह की प्रथा पर विराम लगाया.रेखा के मां-बाप ने उसकी शादी तय कर दी थी, लेकिन उसने यह कहते हुए शादी से इंकार कर दिया कि वह अभी आगे पढ़ना चाहती है.

रेखा की इस दिलेरी की ख़बर मिलने के बाद राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने उससे मिलने की इच्छा जताई है. राष्ट्रपति भवन ने कोलकाता स्थित राज्यपाल सचिवालय से रेखा के बारे में और जानकारी मंगाई है.

पश्चिम बंगाल के सबसे पिछड़े ज़िलों में शुमार पुरुलिया के बीड़ी मजदूरों में बाल विवाह आम है. राज्य की वाममोर्चा सरकार लगातार कोशिशों के बावजूद इस पर अंकुश लगाने में नाक़ाम रही है. लेकिन रेखा की बगावत के बाद इलाके में ऐसे विवाह थम गए हैं. पुरुलिया के सहायक श्रम आयुक्त प्रसेनजीत कुंडू कहते हैं, "रेखा की बगावत के बाद उसके गांव में एक भी बाल विवाह नहीं हुआ है."

जिले के झालदा-2 ब्लाक के बड़ारोला गांव के एक कमरे वाले अपने कच्चे मकान में रहने वाली रेखा के घर न तो बिजली है और न ही पीने के पानी की कोई व्यवस्था. उसने अपने जीवन में कोई फ़िल्म तक नहीं देखी है.

मेरी बड़ी बहन की शादी 12 साल की उम्र में ही हो गई थी. अब वह 15 साल की है. उसे चार बच्चे हुए, लेकिन सब मरे हुए. उसके पहले पति ने उसे छोड़ दिया है. वह अपने दूसरे पति के साथ रहती है

कालिंदी जनजातियों में कम उम्र में ही शादियां हो जाती हैं. रेखा बताती है, "मेरी बड़ी बहन की शादी 12 साल की उम्र में ही हो गई थी. अब वह 15 साल की है. उसे चार बच्चे हुए, लेकिन सब मरे हुए. उसके पहले पति ने उसे छोड़ दिया है. वह अपने दूसरे पति के साथ रहती है."

रेखा कहती है, "बड़ी बहन के साथ ऐसा होने के बावजूद मेरे माता-पिता मेरी शादी 12 साल की उम्र में करना चाहते थे लेकिन मैंने मना कर दिया. मैं आगे पढ़ना चाहती हूं."इससे नाराज पिता ने रेखा का खाना-पीना रोक दिया लेकिन बेटी की ज़िद के आगे बाद में उन्हें मानना ही पड़ा.

रेखा की सहेलियों और स्कूल के शिक्षकों ने भी उसके पिता जगदीश कालिंदी को मनाने में उसकी सहायता की. अब रेखा अपने और आसपास के गांव में एक मिसाल बन गई है. गरीबी के चलते पुरुलिया के ज्यादातर गांवों में लोग अपने छोटे बच्चों को बीड़ी बनाने के काम में लगा देते हैं

उसकी राह पर चलते हुए अब तक क़रीब एक दर्जन लड़कियां कम उम्र में शादी से इंकार कर चुकी हैं.सहायक श्रम आयुक्त प्रसेनजीत कुंडू बताते हैं, "ग़रीब परिवारों की रुखसाना ख़ातून, सकीना ख़ातून, अफसाना ख़ातून और सुमिता महतो जैसी कई लड़कियों ने शादी से इंकार कर दिया है. उन सबकी उम्र 11 से 13 साल के बीच थी."

गरीबी के चलते पुरुलिया के ज्यादातर गांवों में लोग अपने छोटे बच्चों को बीड़ी बनाने के काम में लगा देते हैं. फलस्वरूप वे ज्यादा पढ़-लिख नहीं पाते. यही वजह है कि पुरुलिया में महिला साक्षरता दर देश में सबसे कम है. ऐसे में रेखा ने जो मिसाल क़ायम की है उससे इलाके में बदलाव का एक नया अध्याय शुरू हो गया है.


कैसा मौसम


जाने ये कौन सा मौसम है

न सर्दियों की धुप है

न दिन यहाँ पर कम है

न ठण्ड का कोई भी रूप है


न मिट्टी की खुशबु है

न भीगे यौवन में हलचल

न बादलों में गुफ्तगू है हलचल

न चाय पकौरी का ही कोई पल


धुप भी चिलचिलाती नहीं

न चांदनी का कोई आलम

न झरनों की आरज़ू कहीं

न ये छुट्टियों का मौसम


सरसों भी नहीं दीखते हैं

पतंग अस्मा में अब तक ना नाचा है

नए पत्ते भी कहीं ना उगते हैं

न मुस्कराता कोई भी रास्ता है


जाने ये कौन सा मौसम है

तुम पास होकर भी इतने दूर हो

हर बात शुरू होने से पहले ख़त्म है

काम हो न हो, मसरूफ हो…



Tuesday, September 28, 2010


सच्चाई


शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?

जब यही जीना है दोस्तों तो फ़िर मरना क्या है?

पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िक्र हैभूल गये भीगते हुए टहलना क्या है?

सीरियल्स् के किर्दारों का सारा हाल है मालूमपर माँ का हाल पूछ्ने की फ़ुर्सत कहाँ है?

अब रेत पे नंगे पाँव टहलते क्यूं नहीं?108 हैं चैनल् फ़िर दिल बहलते क्यूं नहीं?

इन्टरनैट से दुनिया के तो टच में हैं,

लेकिन पडोस में कौन रहता है जानते तक नहीं.

मोबाइल, लैन्डलाइन सब की भरमार है,लेकिन जिग्ररी दोस्त तक पहुँचे ऐसे तार कहाँ हैं?

कब डूबते हुए सुरज को देखा त, याद है?

कब जाना था शाम का गुज़रना क्या है?

तो दोस्तों शहर की इस दौड़ में दौड़् के करना क्या हैजब् यही जीना है तो फ़िर मरना क्या है?
वाह रे बेरोजगारी…

http://www.marketmixup.com/wp-content/uploads/2009/11/unemployment.jpg

नदी में डुबते हुए आदमी ने पुल पर चलते हुए आदमी कोआवाज़ लगायी "बचाओ… बचाओ…"पुल पर चलते हुए आदमी ने रस्सी फेकी और कहा "आओ…"नदी में डुबता आदमी रस्सी नही पकड पा रहा थारह रह कर चिल्ला रहा था"मै मरना नही चाहता… ज़िन्दगी बडी महंगी है…कल ही तो मेरी एक MNC मे नौकरी लगी है…"इतना सुनते ही बचाने वाले आदमी ने रस्सी खींच लीऔर भागते हुए MNC कम्पनी पहुचाउसने वहां की HR Manager को कहा" अभी अभी आपकी कम्पनी का एक आदमी डुबकर मर गया हैऔर एक जगह खाली कर गया है… मै बेरोज़गार हु, मुझे ले लो"HR Manager बोली"दोस्त्… तुमने कुछ देर कर दी…हमने पहले ही उस आदमी को नौकरी दे दी हैजो उसे धक्का दे कर तुमसे पहले यहां आया

नीतीश कुमार, इन्द्रपुरी पटनाMob.-9534711912, 9308278467

Sunday, September 26, 2010


खूबसूरत


खूबसूरत है वो लब जिन पर दूसरों के लिए एक दुआ है

खूबसूरत है वो मुस्कान जो दूसरों की खुशी देख कर खिल जाए

खूबसूरत है वो दिल जो किसी के दुख मे शामिल हो जाए और किसी के प्यार के रंग मे रंग जाए

खूबसूरत है वो जज़बात जो दूसरो की भावनाओं को समझे

खूबसूरत है वो एहसास जिस मे प्यार की मिठास हो

खूबसूरत है वो बातें जिनमे शामिल हों दोस्ती और प्यार की किस्से कहानियाँ

खूबसूरत है वो आँखे जिनमे कितने खूबसूरत ख्वाब समा जाएँ

WO KAUN



Yaar jo bhi mila dil jala kar gaya
Khaak main meri hasthi mila kar gaya
Pyaas jiski sada mai bhujatha raha
Zahere-katil mujhe wo pila kar gaya
Naaz uski wafa per mujhe tha magar
Teer woh bhi jigar per chala kar gaya
Doondta tha kabhi jo mujhe her gali
Aankh wo aaj mujhse bacha kar gaya
Mangta tha sahara jo herdam mujhe
Besahara mujhe wo bana kar gaya
Neend aagosh main jiski aane lagi
Maut ki neend mujh ko sula kar gaya
Aarzoo thi “Yaaro” kisii ki mujhe,
Kwaab mere wahi to mita kar gaya

माँ की याद
बचपन की यादें वक्त के फंदे पर कभी झूलती नहीं
माँ की बातें और लोरियां मुझे कभी भूलती नहीं
तसवीरें देखता हूँ जो दीवारों पर कब से लटकी हैं
माँ संग बैठी है ये देख आँखें टपकी हैं
बेकार की बात नहीं मैं सच कह रहा हूँ
माँ की यादों के संग मैं बह रहा हूँ
माँ को गले लगाये हुए एक और तस्वीर हैं
माँ सब तसवीरें ही तो मेरी जागीर है
कभी नहीं खाली हो सकता खामोशी का संमंदर
मुझे विरासत में मिला था सुहाना सा मंजर
हाथ पकड़ा हुआ था माँ ने मेरा तब भी
हाथ पकड़ा हुआ है माँ ने मेरा अब भी
चार दीवारें हैं उस पर डाली हुयी छत है
माँ का ये कमरा उसका जीवन रुपी रथ है
सदा दी है दुआ, बेटा हमेशा आगे बढ़ना
माँ तुम्हें कभी रुलाया हो तो मुझे माफ़ करना।