Monday, October 11, 2010


" भिक्षुक "


वह आता--दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।

पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक, चल रहा लकुटिया टेक,

मुट्ठी भर दाने को-- भूख मिटाने को

मुँह फटी पुरानी झोली का फैलाता--दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।


साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाये,

बायें से वे मलते हुए पेट को चलते,

और दाहिना दया दृष्टि-पाने की ओर बढ़ाये।

भूख से सूख ओठ जब जाते दाता-भाग्य विधाता से क्या पाते?--

घूँट आँसुओं के पीकर रह जाते।

चाट रहे जूठी पत्तल वे सभी सड़क पर खड़े हुए,

और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए!

Sunday, October 3, 2010


" यार चाहिए, मेरा प्यार चाहिए "


ना ज़मीन, ना सितारे, ना चाँद, ना रात चाहिए,

दिल मे मेरे, बसने वाला

किसी दोस्त का प्यार चाहिए,


ना दुआ, ना खुदा, ना हाथों मे कोई तलवारचाहिए,

मुसीबत मे किसी एक प्यारे साथी का हाथों मे हाथ चाहिए,


कहूँना मै कुछ, समझ जाए वो सब कुछ,

दिल मे उस के, अपने लिए ऐसे जज़्बात चाहिए,


उस दोस्त के चोट लगने पर हम भी दो आँसू बहाने का हक़ रखें,

औरहमारे उन आँसुओं को पोंछने वाला उसी का रूमाल चाहिए,


मैं तो तैयार

हूँ हर तूफान को तैर कर पार करने के लिए,

बस साहिल पर इन्तज़ार करता हुआ एक सच्चा दिलदार चाहिए,


उलझ सी जाती है ज़िन्दगी की किश्ती दुनिया कीबीच मँझदार मे,

इस भँवर से पार उतारने के लिए किसी के नाम की पतवार चाहिए,


अकेले कोई भी सफर काटना मुश्किल हो जाता है,

मुझे भी इस लम्बे रास्ते पर एक अदद हमसफर चाहिए,


यूँ तो 'मित्र' का तमग़ा अपने नाम के साथ लगा कर घूमता हूँ,

पर कोई, जो कहे सच्चे मन से अपना दोस्त, ऐसा एक दोस्त चाहिए !!

इंसान की बेरुखी से संकट में हैं गजराज


वर्षों पहले हाथी मेरे साथी नामक एक फिल्म काफी पॉपुलर हुई थी। इसमें आदमी और हाथी की दोस्ती की कहानी कही गई थी। लेकिन

लगता है इंसान ने अपने इस दोस्त से मुंह फेर लिया है। हाथी भी अन्य कई जानवरों की तरह विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके हैं। भारत की सांस्कृतिक विरासत के एक प्रतीक हाथियों की संख्या देश में महज 26 हजार ही रह गई है। जानवरों में सबसे ज्यादा दिमाग वाले इस विशालकाय पशु के लिए ट्रेनें काल बनी हुई हैं। पिछले हफ्ते पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में एक ट्रेन की टक्कर से 7 हाथियों की मौत हो गई थी। पिछले 5 सालों में ट्रेन हादसों में हम 60 हाथियों को खो चुके हैं। असम, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड में ऐसे हादसे ज्यादा हुए हैं।


पर्यावरण मंत्रालय द्वारा गठित ऐलिफैंट टास्क फोर्स ने हाथियों को बचाने के लिए हाथी बहुल इलाकों में ट्रेन स्पीड कम करने, पानी के स्त्रोतों को बढ़ाने जैसे महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं. इतना ही नहीं- ट्रेन की स्पीड 40 की. मी./घंटा रखे, इस पर भी बहुतेड़ों बार हिदायत दिए गये है. , पर रिजल्ट फिर भी दुखद मिलता है. मै पूछता हूँ की कोई ठोस करवाई या फिर इसके खिलाफ कदम क्यों नहीं उठाये जाते. ट्रेन की स्पीड कम क्यों नहीं होती. रेलवे के लिए ये नियम हो या सुझाव पर इनकी स्पीड कम क्यों नहीं होती. क्या ये पर्यावरण के अंग नहीं है? इतना ही नहीं औधोगीकरण के नाम पर बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई हो रही है. इस से तो जानवरों का जीना भी मुहाल हो गया है. पर ये सुझाव अमल कैसे हो ? इस पर सोचने का वक़्त आ गया है. सिर्फ नियम बनाने से इन की रक्षा नहीं हो सकती ! हम इंसान को जानवरों के प्रति अपना नजरिया अपने परिवार के सदस्य की तरह रखना होगा. क्योकि ये जानवर भी तो इस प्रकृति के प्रमुख अंग है.


मानव जनसंख्या के बढ़ते दबाव ने हाथियों का संकट बढ़ाया है। जंगल कट रहे हैं और हाथियों के प्राकृतिक आवास कम हो रहे हैं। बेशकीमती दांत के चक्कर में भी ये मारे जा रहे हैं। अगर ऐसे ही हालात रहे तो सेव टाइगर मुहिम की तरह हाथियों को बचाने के लिए सेव ऐलिफेंट अभियान चलाए जाने की जरूरत पड़ेगी। हाथी के बगैर भारतीय जनजीवन अधूरा लगेगा। कितने ही त्योहार फीके पड़ जाएंगे। अगर हाथी इसी तरह विलुप्त होते रहे तो आने वाली पीढ़ियों को 'हाथी के दांत दिखाने के और, खाने के और', 'हाथी के पांव में सबका पांव' और 'हाथी पालना' जैसी कहावतों का अर्थ ही नहीं समझ में आएगा। क्या हम अपने इस साथी को भुला देंगे? ?


नीतीश कुमार

इन्द्रपुरी, पटना

Mob.- 9534711912, 9308278467

Saturday, October 2, 2010


बच्ची से रेप का आरोपी गिरफ्तार


जिस देश में नाबालिक लड़कियों को देवी का स्वरुप मानकर पूजा जाता है. वही एक हैवान ने अपनी जिस्म की आग बुझाने के लिए 6 वर्ष की लड़की के साथ दुष्कर्म किया.

यह वारदात सोमवार दोपहर को वेस्ट दिल्ली के ख्याला इलाके में हुई थी। बिहार के जहानाबाद से यहां शंकर (19) नामक युवक करीब एक महीना पहले रहने आया था। यहां उसके पिता, भाई और एक अन्य व्यक्ति किराए के मकान में रहते हैं। ये लोग किसी फैक्ट्री में नौकरी करते हैं। सोमवार को ये तीनों लोग नौकरी पर गए हुए थे, जबकि शंकर अकेला घर में था। उसने पड़ोस में रहने वाले परिवार की छह साल की बच्ची को दो रुपये का लालच दिखाकर अपने घर में बुला लिया। यहां उसने बच्ची से रेप किया। बच्ची ने घर जाकर अपनी मां को इस बारे में बताया। शाम को बच्ची के पिता के घर लौटने के बाद उन्हें जानकारी दी गई। उन्होंने पुलिस को खबर दी। बच्ची का मेडिकल चेकअप कराने के बाद ख्याला थाने में रेप केस दर्ज किया गया, लेकिन शंकर फरार मिला। पुलिस उसकी तलाश करती रही, लेकिन वह मिल नहीं रहा था। पुलिस ने उसकी तलाश में रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर टीम तैनात की हुई थी। बुधवार रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शंकर पुलिस के हत्थे चढ़ गया।

इस प्रकार छह साल की मासूम बच्ची से रेप के केस में मुलजिम को गिरफ्तार कर लिया गया है। उसे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया गया।