Tuesday, January 22, 2013

घंटा करप्शन जाएगा



सारण के डीआइजी पर रंगदारी मांगने के आरोप के खुलासे के 24 घंटे के भीतर राज्य सरकार ने उन्हें पद से हटा दिया. सोमवार को डीजीपी ने पूरे मामले की जानकारी मुख्यमंत्री को दी. इसके बाद देर शाम एडीजी (हेडक्वार्टर) रवींद्र कुमार ने आलोक कुमार को हटाये जाने की जानकारी दी. अब डीआइजी से पूछताछ की तैयारी चल रही है. अधिकारियों ने कहा, साक्ष्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी.
पटना: शराब कारोबारी से 10 करोड़ रुपये रंगदारी मांगने के आरोप में घिरे सारण के डीआइजी आलोक कुमार को सोमवार को पद से हटा दिया गया. उनकी जगह डीआइजी (होमगार्ड) एस मलार विजी को सारण का नया डीआइजी बनाया गया है. राज्य सरकार ने आलोक कुमार को पुलिस मुख्यालय में बुला लिया है. फिलहाल वह पदस्थापन की प्रतीक्षा में रहेंगे. शराब बनाने वाली कंपनी दून वैली डिस्टिलरी के कर्मचारी टुन्नाजी पांडेय ने आलोक कुमार पर दस करोड़ रुपये रंगदारी मांगने का आरोप लगाया था. जांच में यह आरोप सही पाये गये. इसी मामले में रविवार को तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जो कथित तौर पर डीआइजी के एजेंट की भूमिका में थे. पांच लाख रुपये नगद भी बरामद किये गये थे.
सोमवार को डीजीपी अभयानंद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिले और पूरे मामले की जानकारी दी. सोमवार को दिन भर आला अधिकारियों की बैठक चलती रही.
सूत्रों के मुताबिक, आर्थिक अपराध इकाई 1997 बैच के आइपीएस अधिकारी आलोक कुमार से पूछताछ भी कर सकती है. आपराधिक मामला दर्ज होने के बाद आरोपित डीआइजी से इंडियन पैनल कोड (आइपीसी) के अधिकार के तहत अनुसंधानकर्ता उनसे पूछताछ कर सकता है. प्रिवेंशन ऑफ करप्सन एक्ट के तहत निर्धारित नियम के आधार पर फिलवक्त पुलिस उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी को पूरे मामले की जांच को लेकर अनुसंधानकर्ता बनाया गया है. मामले की मॉनीटरिंग एसपी, इओयू नवल किशोर सिंह कर रहे है. सूत्रों के अनुसार सर्विलांस के माध्यम से एकत्र किये गये वॉयस रिकार्ड व बरामद नोटों को भी बतौर सबूत न्यायालय के समक्ष पेश किया जायेगा. आवश्यकता पड़ने पर डीआइजी की गिरफ्तारी भी संभव है.
"पुलिस अधिकारी आलोक कुमार को सारण के डीआइजी पद से हटाकर पुलिस मुख्यालय में वेटिंग फॉर पोस्टिंग रखा गया है. उनके ख़िलाफ़ शुरू हुई जांच से जो तथ्य सामने आएंगे, उन्हीं के मद्देनज़र उचित कार्रवाई की जाएगी. वैसे शुरुआती तफ्तीश में जो कुछ साक्ष्य मिले थे, वे संबंधित शिकायत से मेल खाते थे, इसलिए मामला दर्ज हुआ."
एडीजी रवीन्द्र कुमार, पुलिस प्रवक्ता

नोटों पर लगाया गया था केमिकल
सूत्रों ने बताया कि ट्रैपिंग के दौरान इओयू ने रंगदारी व घूस में दिये जानेवाले पांच लाख रुपये को केमिकल लगा कर दिया गया था. इससे रुपये लेनेवाले दीपक अभिषेक व अजय दूबे की उंगलियों के निशान नोटों पर अंकित हो गये है. डीआइजी के साथ नोट लेनेवालों का संबंध साक्ष्य आधारित मौजूद है.
दो कंपनियों के प्रतिनिधि हैं टुन्नाजी पांडे
शिकायतकर्ता सीवान के दरौली निवासी टुन्नाजी पांडे दो शराब कारोबारी कंपनियों के लिए प्रतिनिधि का काम करते हैं. इनमें एक दून वैली डिस्टीलर्स व दूसरा को-ऑपरेटिव कंपनी, नवाबगंज, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश है. सीवान व गोपालगंज में देशी शराब की आपूर्ति के लिए को-ऑपरेटिव कंपनी को ही उत्पाद विभाग द्वारा लाइसेंस प्रदान किया गया है.

विधान पार्षद का रिश्तेदार है उमेश
आलोक कुमार के टुन्नाजी को धमकी देने और दस करोड़ की रंगदारी मांगने में जिस उमेश को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, वह एक विधान पार्षद का चचेरा साला है. आलोक जब पटना के एसएसपी थे, तब भी उमेश उनका खास था. शुरुआती दौर में उमेश लोजपा का कार्यकर्ता बना. दरौंदा उपचुनाव के दौरान वह जदयू में शामिल हुआ था.

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